दोस्तों, 

मुझे नही लगता है कि “जादू” (Magic) को किसी भी अन्य movie, किताब या कहानी ने इतना अच्छा प्रदर्शित किया होगा जितना कि “Harry Potter” Series ने किया है। आप ने अगर ये उपन्यास नही पढ़े है तो कम से कम इस पर आधारित Harry Potter की फ़िल्में तो जरूर देखी होगी। 

उपन्यासों से लेकर movies की वो दुनिया जिस ने पूरे विश्व को अपना दीवाना बना दिया। वो रहस्यमय कहानियां जिसने बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी को अपने जादुई दुनिया की ऐसी सैर करवाई कि उसके सामने दूसरी सारी जादुई कहानियां फीकी पड़ गई। Harry Potter के उपन्यासों की लेखिका J K Rowling ने कभी सोचा भी नही होगा कि उनकी जिंदगी के सबसे बुरे दौर में आए कुछ विचित्र विचार एक दिन उन्हें दुनिया की सबसे अमीर महिला बना देंगें। 

दोस्तों आज हम Harry Potter Series की लेखिका के जीवन के बारे में जानेंगे। J K Rowling के जीवन का सफर विश्व के लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण inspirational source है। 

“खुशहाल बचपन”:

31 जुलाई 1965 में Rowling का जन्म इंग्लैंड में हुआ। उनका बचपन खुशहाल और सामान्य था। उन्हें लेखिका बनने का सपना बचपन से ही था। उन्होंने एक छोटी सी कहानी की किताब 6 साल की उम्र में लिखी जो की एक खरगोश की कहानी थी। उनकी माँ ने उन्हें इस बात के लिए बहुत प्रोत्साहित किया था। वे अपनी माँ के बहुत करीब थी।

उन्होंने अपनी graduation लंदन से अपनी माँ के साथ रहते ही पूरी की। और वहीं पर उन्होंने कुछ नौकरियां भी की। इसी दौरान उन्होंने कई बार लिखने की कोशिश की मगर को सफल नही हो सकी।

“एक स्वछंद परिकल्पना”:

1990 में एक दिन वो Manchester से London का लम्बा सफर ट्रैन से तय कर रही थी, ट्रैन लगभग 4 घण्टे की देरी से चल रही थी। वो दिन और वो सफर बाकी के सभी लोगों के लिए सामान्य था मगर Rowling के दिमाग में पहली बार उस दिन एक परिकल्पना ने जन्म लिया। खुद Rowling को भी इस परिकल्पना में जन्मी इस कहानी की  सफलता का अंदाजा नही था। Harry Potter, Ronald Weasley तथा Hermoine Granger जैसे character उनके दिमाग मे जन्म ले रहे थे।

माँ की मौत और बुरे दिनों की शुरुआत:

 ट्रैन में आये विचार को अभी कुछ महीने भी नही हुए थे कि 1991 में उनकी माँ का देहांत हो गया। अभी वो सिर्फ 25 साल की थीं। माँ के देहांत के बाद 1992 में वो पुर्तगाल चली गई और वहां english पढ़ाने लगी। उसी समय उन्होंने एक पुर्तगाली पत्रकार से शादी कर ली। शादी के मात्र 13 महीने में एक बेटी को जन्म देने के साथ ही उनका तलाक हो गया। तलाक के तुरंत बाद एक बेटी और Harry Potter के मात्र 3 अध्याय के साथ वो वापिस Edinburgh आ गई और वही रहने लगीं।

1993 में हालात इतने खराब हो गए कि उनके पास खाने तक पैसे नही रह गए। उनके पास कोई स्थाई काम भी नही था। ऊपर से एक छोटी बेटी की single parent होने के कारण उन्हें कोई अच्छा काम भी देने को तैयार नही था। Rowling कहती है कि उस समय एक स्थिति ऐसी भी आ गई थी कि वो depression में चली गई थी। यहां तक कि उन्होंने (suicide) करने की भी नाकाम कोशिश की थी।

अपनी किताब की ज्यादातर कहानी अपनी बेटी के सो जाने के बाद उन्होंने कैफ़े में जाकर पूरी की। अपनी किताब के कुछ दृश्य उन्होंने अपनी असली जिंदगी के हालात से inspire हो के लिखे। जैसे कि माँ की मौत Rowling की छोटी उम्र में हो गई तो Potter के भी माँ बाप की मृत्यु भी Potter की छोटी उम्र में ही हो जाती है। उनकी जिंदगी के depression भरे दौर में ही उनके दिमाग मे कहानी के Dementors जैसे भयानक और बुरे character ने जन्म लिया।

दो वक्त का खाना जुटाने लायक कुछ पैसों के लिए उन्होंने अपना appartment किराए पर दे दिया और खुद सरकारी सहायता (Welfare) के सहारे जिंदगी काटने लगी। इस प्रकार कई वर्ष बीत गए और उन्हें अपनी पहली किताब पूरा करने में 5 वर्ष लग गए।

कुछ और मगर अंतिम बुरे दौर:

ये बात 1995 की है। अब पहली किताब का menuscript उनके पास तैयार था। उन्होंने अपनी किताब के प्रकाशन के लिए एक के बाद एक कई असफल प्रयास किये।  उस वक़्त england के सबसे बड़े 12 pablication house ने उनकी किताब को प्रिंट करने से मना कर दिया। नकारे जाने के बहुत से कारण बताये गए। किसी ने कहा ये बच्चों के समझने के लिए मुश्किल है तो किसी ने कहा ये बहुत ज्यादा बड़ी और बेढंगी कहानी है। 

Rowling जानती थी कि इसे print करवाना कोई आसाम काम नही होगा। उन्होंने पब्लिशर्स की attention attract करने के लिए अपने पहले अध्याय में 15 से ज्यादा बार बदलाव किए मगर सब के सब असफल साबित हुए।
एक बार फिर से 5 साल की मेहनत को असफल देख वो depression में चली गई। 

नई सुबह की पहली रोशनी:

मौका कभी भी छोटा और मामुली नही होता। मौका तो सिर्फ मौका होता है। ये वाक्य उनकी किताब को मिलने वाले पहले publishing house “Bloomsbury” और  Rowling दोनों पर  बिल्कुल शत प्रतिशत लागू होता हैै।   क्योंकि दोनों को ही लग रहा था कि ये एक छोटा सा मौका है, लेकिन इन दोनों की ही किस्मत अब करवट बदलने वाली थी।

 Bloomsbury एक छोटा publishing house था। और Rowling एक strugling लेखिका। ये publishing house किताब प्रिंट करने के लिए तैयार हो गया और महज 4000 डॉलर में उसने किताब के copyrights खरीद लिए। इस किताब के पहले प्रिंट की कुल 1000 प्रतियां छापी गयी जिसमे से 500 तो सिर्फ लायब्ररीयों में भेजी गई। आप को जान कर हैरानी होगी पहले print की सिर्फ एक ही प्रति की कीमत आज लगभग 25 लाख रुपये है उस वक़्त Rowling ने कुल मिलाकर ही लगभग 2 लाख रुपये कमाए थे। 
Bloomsberg और Rowling, दोनों की ही उम्मीद के परे किताब ने शुरुआत में ही सफलता प्राप्त कर ली। किताबों के बिकने की होड़ शुरू हो गई। बाद में ये किताब इतनी लोकप्रिय साबित हुई कि इसे इंग्लैंड का “British Book of the year for children” का खिताब दिया गया। 

फर्श से अर्श तक:

UK में अपार सफलता के बाद में एक अमेरिकन publishing हाउस से इस किताब के कॉपीराइट्स लगभग 1400000 डॉलर में खरीद लिए। ये पहली बहुत बड़ी जीत थी। इसके बाद इस series की और किताबे भी प्रकाशित हुई। यहां तक कि लोग इसका इन्तजार तक करने लग गए। पूरे विश्व के लोगों में इसको पढ़ने की दिलचस्पी बढ़ने लगी। कुल मिलाकर 2011 तक ही इस series की 7 किताबें छपी जिनकी कुल मिलाकर 15,00,00,000 प्रतियों की बिक्री हुई। 

बाद में USA की कंपनी Warner Bros ने सिर्फ पहली दो किताबों पर आधारित फिल्म के सारे rights खरीद लिए। जिनकी कुल कीमत 150000000 डॉलर थी। 

2011 में ही छपी FORBES मैगज़ीन के मुताबिक उस वक़्त तक Rowling की कुल networth 1,000,000,000 डॉलर थी। जिसको अगर रुपये में गिना जाए तो लगभग 65,00,00,00,000 (65 अरब रुपये) रुपये होगी। इस के साथ ही Rowling 2011 में दुनिया की सबसे अमीर महिला बन गयी।

आज जब उनसे कोई उनकी इतनी बड़ी सफ़लता का राज जानने की कोशिश करता है तो उनका बस एक ही उत्तर होता है: “मेरी सफल जिंदगी का आधार जिंदगी का सबसे सख्त और सबसे निचला पायदान है” 

सच में,  सख्त और गहरी नींव पर बनी इमारत बहुत ऊंची भी होती है और मजबूत भी।

दोस्तों, हो सकता है आप को कभी कभी जिंदगी बहुत सख्त और बेरहम नजर आए। हो सकता है आप अभी अपने जीवन के सबसे निचले पायदान पर खड़े हों। हो सकता है पायदान का ये स्तर सामान्य के मुक़ाबले एक गहरे गड्ढ़े की तरह नजर आ रहा हो। ये भी हो सकता है जहां आप खड़े हों वहां आपके चारो ओर कुछ भी न दिखाई दे रहा हो। बस थोड़ा सा सर को ऊपर उठाने की हिम्मत जुटाइये और ध्यान से ऊपर की ओर देखिये, अभी भी एक रास्ता नजर आएगा और ये रास्ता अब आपको सिर्फ और सिर्फ ऊपर ही लेकर जाएगा। आपकी सफलता की नींव रखने का यह बिल्कुल उपयुक्त समय है।सपनों को याद कीजिये और बिना किसी देरी या डर के पहला कदम उठाइये। जिंदगी के सबसे निचले स्तर पर कदम उठाने पर और नीचे जाने का डर नही होता। 

आपका दोस्त

मनोज शर्मा

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Manoj Sharma

Writer, Trainer and Motivator

6 Comments

Upender oli · October 28, 2017 at 8:29 pm

Niceee

Anonymous · September 1, 2017 at 11:20 am

Beautiful and inspiring …Keep it up sir

Balasaheb Zore · August 29, 2017 at 9:23 pm

Inspiring story !

aadhyasharma · August 29, 2017 at 8:36 pm

beautiful hindi blog to follow

Nisha · August 29, 2017 at 8:14 pm

Beautiful !!

sushmita · August 29, 2017 at 3:56 pm

owsm sir!!!

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