दक्षिण अफ्रीका में डिबेल (Ndebele) नाम की एक जनजाति रहती है। ये लोग पूरी तरह प्राकृतिक रूप से अपना जीवन निर्वाह करते हैं। मगर एक बात ऐसी है जो इस जनजाति की इनसानी फिदरत की समझ और आपसी व्यवहार को विकसित और विकासशील देशों के उन्नत समाज के मुकाबले कहीं ज्यादा प्रदर्शित करती है।

जब भी कोई व्यक्ति किसी तरह का कोई गुनाह या गलती करता है तो उस व्यक्ति को एक बिल्कुल ही असाधारण तरीके से सजा दी जाती है। गुनाहगार को किसी तरह की कोई नकारात्मक सजा या जुर्माना नही लगाया जाता है। ये लोग उसे बिल्कुल ही अलग सलीके से treat करते हैं।

Ndebele

गुनाहगार को लगातार दो दिनों तक की सजा दी जाती है। इस के लिए वो guilty person को गांव की सबसे पवित्र जगह पर ले जाकर उसे बीचोंबीच प्यार और पुरे सम्मान से बिठा देते हैं और सारे गाँववाले उसे चारों तरफ से घेर लेते हैं। बजाय उसकी गलती के बारे में बात करने के, सारे गांव वाले उसके भूतकाल जीवन के सबसे अच्छे कार्य, उसकी अच्छाइयों, उसकी बहादुरी, उसकी महानताओं की चर्चा करते हैं। गाँव वाले कभी भी अपने लोगों के द्वारा किये अच्छे कार्य को नहीं भूलते हैं।

यह चर्चा लगातार दो दिनों तक चलती है। यह सब बहुत ही हंसी ख़ुशी और खान-पान के माहौल के साथ होता है। Guilty person को इस तरीके से treat किया जाता है जैसे कि ये दो दिन का सेमीनार हो जिसमे सब लोग ये सिखने आये हों कि उस आदमी ने कितने बड़े बड़े काम महान काम किये हों। उन दो दिनों और उस के के बाद भी गलती के बारे में कोई बात नहीं करता है।

इस तरह से गुनाहगार को फिर से बाकी सभी लोगों के साथ connect होने का सबसे अच्छा मौका मिल जाता है। इतने सुन्दर मौहौल में गुनाहगार अपनी अच्छाइयों पर अपने ध्यान को केन्द्रित कर दोबारा से अपने जीवन को सही दिशा देने में कामयाब हो जाता है। साथ ही साथ सारे गाँव वाले उस आदमी को उसकी अच्छाइयों के लिए अच्छे से जान पाते हैं। हैरानी की बात है सदियों से इसी तरीके को अपनाया जा रहा है और आज तक किसी को भी न तो कोई कष्टदायक सजा भुगतने की जरुरत पड़ी और न ही जुरमाना भरने की।

ये तरीका अपने आप में पुनर्वास (rehabilitation) का सबसे सुरक्षित (safe) और तात्कालिक प्रभावशाली (immediately effective) है। डीबेल (Ndebale) जनजाति का मानना है कि प्यार, शांति, ख़ुशी, भरोसा, सुरक्षा (Love, peace, happiness and faith,safety) आदि मनुष्य की उत्पति से लेकर ही मनुष्य की विरासत है। इन सब की खोज में कभी कभी मनुष्य गलती भी कर बैठता है और समाज का काम है कि वह ये सुनिश्चित करे की उनका कोई भी साथी अकेला न महसूस करे और अच्छाई से न भटके।

यह कितनी बड़ी बात है कि जिन्हें हम आदिवासी कहते हैं वे लोग इंसानी भावनाओं और मन को इतनी अच्छे से समझते हैं। इन लोगों ने किसी प्रकार की कोई psychology की पढाई नहीं की है फिर भी बेहतरीन तरीके से ये समझते हैं की इंसान को उसके अच्छे काम प्रदर्शित करते हैं न कि उसकी कमियां या उसकी गलतियाँ।

सोचिये क्या होगा किसी भी interview में हर interviewer अगर सिर्फ इस बात पर अपना ध्यान केन्द्रित करें की candidate ने कौन कौन से गलतियाँ की हैं? क्या होगा लोग अपना जीवन साथी चुनने से पहले सिर्फ इस बात का ध्यान रखे कि सामने वाले ने जीवन में कितनी गलतियाँ की है? क्या होगा हम अपने दोस्तों की सिर्फ कमियों को ही देखते जाएँ? क्या होगा अगर बच्चे अपने माँ बाप की गलतियों को ही देखें? क्या होगा हर परीक्षा में अगर सिर्फ इस बात के लिए आपको परखा जाये की आपने कितने प्रशनो के उत्तर गलत दिए?

मैं समझता हूँ ब्रह्माण्ड में ओई भी ऐसा नहीं होगा जिसने कभी गलती न की हो। कुछ लोग सिर्फ छोटी छोटी गलतियाँ करते हैं और कुछ एक से थोड़ी बड़ी भी हो जाती हैं। गलती किया हुआ इंसान अगर सही तरीके से अपने आप को नहीं सुधार पाता है तो इसका मुख्य कारण होता है समाज की उसके प्रति परिदृष्टि (बदला हुआ दृष्टिकोण)। हर इंसान को अपनी गलती सुधारने का हक़ है. और आज-समाज या परिवार का फर्ज है कि इसके लिए मिलकर उसकी मदद करे।

इसके लिए सबसे कारगर तरीका है की गलती किये इंसान को अकेला न महसूस होने दें। उसे ये न महसूस होनें दें कि उसके प्रति सामाजिक रवैया बदल गया है। उसे मिलने वाले प्यार और सम्मान में कमी न महसूस होने दें। उसके साथ बैठें और उसे बताएं कि उसके अन्दर कितनी सारी अच्छाइयां और महानताएं भरी हैं। उसके जीवन भर के किये अद्भुत, अच्छे काम उसे याद दिलाएं।

डिबेल (Ndebele) समुदाय के इन प्यारे लोगों से सीखी कुछ महत्वपूरण बातें:

  • हर गलत इंसान के अन्दर एक महान इंसान भी छिपा होता है और उसकी अच्छाइयां कमियों से कहीं जयादा होती है।
  • इंसान भावनाओं का पुतला है. भावनाएं ही इंसान से सही या गलत करवाने की ताकत होती हैं।
  • हर इंसान गलती कर सकता है और सभी के अन्दर उसे सुधारने की क्षमता होती है।
  • गलत इंसान को सुधरने के लिए समाज का role गलत इंसान के स्वयं के role से कहीं ज्यादा बड़ा होता है।
  • सजा से ज्यादा शक्ति प्यार में होती है. समाज का प्यार और सम्मान लोगों को बदलने की ताकत रखता है।
  • इंसान को गलती के लिए कोसने के बजाये उसकी अच्छाइयों के बारे बात करना ज्यादा कारगर तरीका है।

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Manoj Sharma

Writer, Trainer and Motivator

5 Comments

Nisha · December 3, 2017 at 8:44 am

Really awesome

Prem · November 19, 2017 at 2:09 pm

Awesome

Archana · November 17, 2017 at 6:57 pm

Very nice way

Archana · November 17, 2017 at 8:17 am

Very nice way

Anonymous · November 15, 2017 at 6:14 pm

आज इस द्वेष और एक दूसरे से आगे बढ़ने की लालसा में हम प्यार और शांति को भूल रहे उसको फिर से जिंदा करने की
आपकी इस शुरुआत को दिल से नमन

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