60 करोड़? ढाबा?
इस पोस्ट का विषय पढ़ने के बाद शायद यही दो बातें आपके दिमाग में चल रही होंगी। कुछ लोगों को तो ये बात पच ही नहीं रही होगी।
मगर ये बात सच है। अगर आप ने अमरीक सुखदेव ढाबा (Amrik Sukhdev Dhaba), जो कि मुरथल (हरयाणा) में दिल्ली से चंडीगढ़ जाने वाले national highway 1 पर स्थित है, के बारे में सुना है या कभी अपने सफर के दौरान वहां खाना खाया हो तो इस बात को आप कभी भी नकार नहीं सकते हैं।
हो सकता है कुछ लोग इसलिए भी इस बारे में नही जानते होंगे क्योंकि इसकी कोई advertisement नहीं आती है। ये ढाबा धैर्य, मेहनत, सादगी, ईमानदारी और सफलता का एक महत्वपूर्ण उदाहरण हैं।
इससे पहले की मैं आप लोगों से इस ढाबे के सफलता की कहानी share करूं, उस से पहले कुछ ऐसे तथ्य जो इसे हिंदुस्तान का सबसे अमीर ढाबा बनाते हैं।
- नाम : अमरीक सुखदेव ढाबा
- स्थान: मुरथल (हरयाणा)
- संस्थापक: सरदार प्रकाश सिंह
- स्थापना: 1956
- सालाना कारोबार : 60 करोड़
- कर्मचारी: 300
- रोजाना ग्राहक : 15000
- कार पार्किंग की जगह: 500
- कारोबार समय : 24*7*365
- सम्पूर्ण शाकाहारी
- व्यंजन: 160 तरह के
- सबसे ज्यादा popular dish: आलू पराँठा
Founder: Prakash Singh
इस ढाबे की शरुआत 1956 में, दिल्ली अम्बाला के बीच चलने वाली truck drivers को कुछ सुविधाएं मुहैया करवाने के मकसद से की गई। जिसमें उन्हें आलू परांठे, चाय और नाश्ते के साथ नहाने की व्यवस्था और सोने या आराम करने के लिए कुछ कमरों की व्यवस्था भी थी।
ये इकलौता ढाबा नही था बल्कि बहुत से छोटे-छोटे ढाबों की शुरुआत उस दशक में हुई थी। मगर उन सभी ढाबों में यह इकलौता ऐसा ढाबा है जो अपने आप को बदलते भारत के साथ खड़ा रख पाने में क्कमयब हुआ।
दिल्ली अम्बाला express way बन जाने के कारण ज्यादातर छोटे ढाबे अपने वर्चस्व को नही बचा सके और अपना कारोबार समेत राज्य या देश के दूसरी जगहों पर पलायन कर गए।
Aaloo pratha with white butter
अमरीक सुखदेव ढाबा इस बदलाव को समझने, बदलाव को अपनाने और फिर जरुर्रत अनुसार अपने आप में बदलाव लाने में सफल रहा और आज हिंदुस्तान का सबसे अमीर ढाबा बन गया।
आज यह किसी 5 स्टार ढाबे से कम नही दिखता है। साफ सुथरा परिवेश, खाने की quality, professional कर्मचारी, AC वातावरण, कार पार्किंग की अच्छी एवं पर्याप्त व्यवस्था, साफ सुथरे शौचालय आदि बातें इसे traditional ढ़ाबों की कतार से अलग करती है।
इसके 20 km के दायरे में अनेकों ही branded franchise भी देखी जा सकती है मगर उन सब का turnover इस ढाबे से बहुत कम रहता है। यहां तक कि लोग कतारों में खड़े होकर इंतजार कर लेते हैं मगर किसी दूसरी जगह जाना पसंद नहीं करते हैं।
अमरीक सिंह अपने माँ बाप की 11 बच्चों में से तीसरी औलाद थी। अमरीक सिंह ने एक अखबार के इंटरव्यू में कहा था था कि उसने 1960 के दशक में ही अपनी पढ़ाई 10वीं तक करने के बाद से ढाबे को संभालना शुरू कर दिया था। अमरीक कहते हैं कि उन्होंने अपने बूढ़े पिता को cash counter में बिठाया और बाकी के सारे काम अपने छोटे भाई सुखदेव के साथ करने शुरू किए।
जब ढाबे की शुरुआत हुई थी तो वह मात्र एक tin shed ही था। जैसे जैसे विभिन्न तरह के कस्टमर उनके पास आते गए, वैसे वैसे ही जरुर्रत के अनुसार वह अपने ढाबे को upgrade करते गए। सन 2000 के बाद वह ढाबा पंजाबी NRI का एक favourite destination बन गया। इसलिए 2000 में ही उन्होंने एक नए बहुत बड़ी जगह पर ढाबे को शिफ्ट कर दिया। आज यह ढाबा एक 3 स्टार restaurant की तरह नजर आता है।
अमरीक कहते हैं कि बेशक वह ज्यादा पढ़ाई नही कर पाए मगर फिर भी इस business को बदलते वक्त के साथ संभालने में अच्छी तरह कामयाब हुए हैं। जिस दिन से ढाबा शुरू हुआ है तब से लेकर आज तक वह लगभग 5% की मासिक growth को maintain कर पाने में सफल हुए हैं।
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अब उनके इस बिज़नेस को संभालने और upgrade करने का काम उनके बेटे सूरज सिंह ने अपने हाथों में ले लिया है जो इंग्लैंड की एस्टन विश्वविद्यालय से M. Sc. हैं।
दोस्तों,
कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है। नाम और शोहरत भी किसी काम की मोहताज नहीं होती है। जितना नाम और शोहरत आज इस ढाबे के मालिक ने कमाई है उतना तो किसी class one job में भी possible नहीं हैं। जरा सोचिए कि यह ढाबा प्रतिदिन 15000 लोगों को अच्छा खाना खिलाने के साथ-साथ उन 300 परिवारों का भी पालन पोषण कर रहा है जिनके परिवार के सदस्यों को यहां रोजगार दिया गया हैं। 300 परिवारों को रोजगार देना अपने आप में एक बहुत बड़ी और महत्वपूर्ण बात है।
अमरीक शुखदेव ढाबे की success story ने हमें सिखाया की कैसे धैर्य, मेहनत, कर्मनिष्ठा, ईमानदारी और अपने काम के प्रति रुचि आपको सफकता तक पहुचा ही देती है।
10 Comments
Soni Singh · November 4, 2019 at 12:05 pm
Really it is an outstanding performance of this Dhaba. It is admirable and needs to learn from this Dhaba or Line Hotel. There is a scope every where if we are really serious to start any first-time business in your life. I am taking it as a case study for my newly started (June 2019) Dhaba business in Munger district of Bihar near Haveli Kharagpur near Dhapri more and its name is APNA DHABA. It is in the primary phase and only six-month-old business but doing good. Hope we will be set some milestone like this Dhaba in the coming feature. And my best wishes as a fonder of APNA DHABA / Mrs. Soni Singh, all the best to Amrik Sukhdev Dhaba (अमरीक सुखदेव ढाबा).
Manoj Sharma · November 4, 2019 at 12:13 pm
Dear Mr. Singh, I wish you all the best for your business .
Pankaj negi · October 27, 2017 at 5:58 pm
Manoj Bhai keep it up
Harpreet Kuar · October 25, 2017 at 11:24 am
really a favorite destination while on tour to Delhi. But never released.
Anonymous · October 25, 2017 at 8:15 am
Bahut badia ji
Anonymous · October 24, 2017 at 11:23 am
wonderful story .. inspirational
Anita · October 23, 2017 at 10:39 am
WOW ! Inspired
Bishan Sharma · October 21, 2017 at 10:26 pm
Very good manoj
kiran · October 21, 2017 at 7:15 pm
Good story
वन पुरुष जादव पायेंग (The Forest Man) | The Happy Minds · October 24, 2017 at 7:39 am
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