18 दिसंबर 2006 की शाम रणजी ट्रॉफी में दिल्ली और कर्नाटक के बीच मैच की संघर्षपूर्ण शाम थी। दिल्ली को follow on से बचाने के लिए किसी खिलाड़ी को लंबी पारी खेलने की आवश्यकता थी। और ये सब अगले दिन के खेल पर निर्भर था।
वो थका देने वाले मैच के बाद दिल्ली के किशोर खिलाड़ी विराट कोहली अपने कमरे में सो रहे थे। अगले दिन की जिम्मेदारी अब उन पर थी। मगर उस सुबह 3 बजे एक फ़ोन कॉल ने उनकी जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया। ये फ़ोन कोहली के घर से था। ये फ़ोन कॉल उन्हें ये बताने के लिए था कि उनके पिता प्रेम कोहली को heart attack आया है।
19 दिसंबर 2006 की सुबह 3 बजे उनके पिता को दिल का दौरा पड़ गया किसमे उनकी मौत हो गयी। ये खबर विराट कोहली के लिए उनके जीवन की सबसे बुरी खबर थी। उस समय विराट कोहली एक किशोर थे। अगली सुबह 7:30 बजे मिथुन मिन्हास (27 वर्ष) दौड़ते हुए अपनी टीम के सबसे छोटे खिलाड़ी के पास आए और पूछा “बेटा क्या हुआ?” उत्तर में विराट कोहली भरे हुए सब्दों में कहने लगे “मेरे पिता की मृत्यु हो गयी है”।
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ये सुनते ही मिथुन मिन्हास अपनी जगह पर खड़े-खड़े सुन्न हो गए। इस हालत से कैसे निपटा जाए ये उनकी समझ मे नहीं आ रहा था। वो कोहली से सिर्फ कितना कह पाए कि तुम अभी घर जाने की तैयारी करो। मगर ऐसा कुछ भी नही हुआ। 9 बजे मैच शुरू होते ही वो किशोर खिलाड़ी अपनी बची हुई पारी को आगे बढ़ाने के लिए मैदान में उतरा। और 90 रन बनाने के बाद ही मैदान छोड़ा। उन 90 रनों को बदौलत ही दिल्ली फॉलो ऑन बचाने में कामयाब हो पायी। विरोधी कर्नाटक भी समझ नही पाए कि विराट को out करने को कैसे celebrate करें? अपने लिए तालियाँ बजायें या विराट के लिए?
उस शाम emotional विराट ने एक पुरानी photo और पोस्ट को share करते हुए इस पारी को अपने पिता को समर्पित किया।
“How I wish I could wish you a very Happy Father’s Day in person. The strongest person I’ve ever known. To all the fathers, I just want to wish you a Happy Father’s Day“
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मगर ये दिन दुनिया के लिए एक मिसाल बन गयी।
वो दीन और वो पल commitment के एक सशक्त उदाहरण के रूप में आज भी याद किया जाता है।
कैसे एक किशोर ने ये निर्णय लिया कि उनके लिए ज्यादा महत्वपूर्ण क्या था? एक तरफ मृत पिता जो अपने बेटे के द्वारा अंतिम संस्कार और मुखाग्नि का इंतजार का कर रहा था और दूसरी तरफ उनकी टीम जो एक महत्वपूर्ण मैच में follow on बचाने के लिए झूझ रही थी। 18 साल के उस किशोर ने follow on बचाने में अपनी टीम की मदद करना और अपनी अधूरी पारी को पूरा करने का निर्णय लिया। तब तक के अपने कैरिएर की सबसे अच्छी पारी खेल कर ही मैदान छोड़ा और उसके बाद ही सीधा अपना पुत्र धर्म निभाने घर गए।
बाद में एक interview में विराट कोहली ने कहा कि उनके पिता उनके सबसे दोस्त, कोच, गाइड और रोल मॉडल थे। ये पारी उन्होंने अपने पिता के लिए एक श्रधांजलि के रूप में पूरी की है।
“मैंने अपने पिता का अंतिम संस्कार देरी से किया, और ये सब मैंने क्रिकेट के प्रति मेरी प्रतिबद्धता के कारण किया” – विराट कोहली
शायद जिंदगी के सबसे tough situation में निर्णय लेने की क्षमता ही हैं जो एक महान को आम से अलग बनाती है। विराट कहते हैं कि उस क्षण के बाद वो बहुत strong बन गए। आज कोहली को पूरा विश्व जानता है। क्रिकेट के इतिहास के अभी तक के records को तोड़ता और एक के बाद एक नये कीर्तिमान अपने नाम करता वो विराट आज विश्व भर के क्रिकेट प्रेमियों की धड़कन है।
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8 Comments
Reena Sharma · October 10, 2017 at 11:43 am
Very nice story
Yashpal Sharma · October 7, 2017 at 3:24 pm
बहुत अच्छा लगा
Dev · October 1, 2017 at 11:57 am
Bahut badiya
kiran · September 29, 2017 at 8:09 am
Good story
Akshay Sharna · September 28, 2017 at 8:42 pm
Great one, excellent
Anonymous · September 28, 2017 at 3:12 pm
Great one.. We love u kohli
Akshay Sharna · September 28, 2017 at 8:43 pm
Great one, excellent
सचिन यूं ही "GOD" नहीं कहलाते | The Happy Minds · September 28, 2017 at 2:47 pm
[…] “विराट कोहली: The Commitment” […]