65 वर्ष की आयु में महान अविष्कारक थॉमस एडिसन (Thomas Edison) ने एक घटना के बाद एक बात ऐसी कही जो अपने आप मे हैरान करने वाली मगर दुनिया की समझ और उम्मीद को ऊंचाइयों पर ले जाने वाली थी। वो बात उनके द्वारा अर्जित महान ऊंचाइयों के पीछे उनके नजरिये को दर्शाती है। इस बात के बाद दुनिया ये जान पाई कि उन्होंने सिर्फ एक बल्ब बनाने के लिए क्यों 10000 बार कोशिश की मगर हार नही मानी।
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सन 1914 में दिसंबर की एक रात, न्यूजर्सी की उनकी एक फैक्ट्री एवं लैब में अचानक आग लग गयी। उस सर्द रात में अपनी फैक्ट्री को आग की भेंट चढ़ते देख के भी उनके माथे पर कोई शिखस्त नही थी।
आग की लपटों को आसमान में जाते देख उनका बेटा चार्ल्स वहां आया और पिता की मेहनत को धुँए में उड़ता देख पिता के कंधे पर अपना हाथ रख कर बोला “पिताजी मुझे ये सब देख कर आप के लिए दुख हो रहा है”। इस से पहले कि चार्ल्स कुछ और बोल पाते, एडिसन ने कहा “तुम्हारी माँ कहाँ है?” चार्ल्स ने कहा कि वो नहीं जानते कि उनकी माँ अभी कहाँ है। ये सुनकर एडिसन बोले “जाओ और अपनी माँ को जल्दी ढूंढ लाओ, और उस से कहो कि ये नजारे बार-बार देखने को नही मिलते”।
ये सब सुनकर चार्ल्स हैरान थे। चार्ल्स को लगा कि उनके पिता शायद ये तबाही देख आपा खो रहे हैं। मगर एडिसन ने फिर जो समझाया वो कुछ इस प्रकार था:
“तबाही में भी कोई न कोई भलाई निश्चित ही छिपि होती है। इस आग में मेरी सारी गलतियाँ भी राख हो गई। अब में एक नई शुरुआत कर सकता हूँ। भगवान का शुक्र है कि मेरे पास सब कुछ नया निर्मित करने का मौका है और अब मैं जानता हूँ कि अब कौन सी गलती दोबारा नहीं करनी है”
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जब ये घटना हुई थी तो एडिसन 67 वर्ष के थे और चार्ल्स 24 वर्ष के। उस घटना की शाम एडिसन ने पत्रकारों को ये कहते हुए घटना स्थल छोड़ा कि मुझे सुबह नई शुरुआत करनी है इसलिए मैं सारी रात बैठकर यहाँ नही बिता सकता। अगली सुबह चार्ल्स और उनके साथ-साथ सारे पत्रकार ये देख के हैरान थे कि न तो उन्होंने अपने किसी भी कर्मचारी को नौकरी से निकला और न कोई छुट्टी दी। अगली सुबह निश्चित समय पर उसी जगह पहुच कर नए तरीके से नई फैक्टरी बनवाने के कार्य पे लग गए।
जब नुकसान की गणना पूरी हुई तो पता चला कि आज के हिसाब से 23 मिलियन डॉलर की थी। उस के साथ-साथ बहुत से सालों की मेहनत के बेशक़ीमती कागज़ात और prototype भी स्वाहा हो गए।
मगर तब एडिसन ने हेनरी फोर्ड से कर्ज़ लेकर मात्र अगले तीन सप्ताह में फैक्ट्री का एक हिस्सा शुरू भी करवा दिया। सभी कर्मचारियों की डबल शिफ्ट शुरू करवाई गई। मात्र अगले 4 साल में ही एडिसन ने 10 मिलियन डॉलर का revenue अर्जित किया।
एडिसन न सिर्फ एक अविष्कारक बल्कि एक महान और सबसे अमीर उद्योगपति भी थे। शायद यही कारण है कि दुनिया के सबसे बड़े success researchers एवं लेखक “Napoleon Hill” ने अपनी किताबों की series “The Laws Of Success” में सबसे ऊपर रखा।
आप ने Napoleon Hill की किताब “Think And Grow Rich” (सोचो और अमीर बनो) जरूर पढ़ी होगी, अगर नहीं तो उसे खरीद कर जरूर पढ़ लें।
एडिसन के कहे वो शब्द उनकी ही तरह महान हो गए। उनके इन शब्दों ने इस विश्व के लोगो के जीवन में वैसे ही चमत्कार किए जैसे कि उनके अविष्कारों ने।
एडिसन कहते थे कि मेरी सफलता का राज मेरे खुद के और मेरे काम के प्रति मेरा दृष्टिकोण हैं। मैं अपनी गलतियों से सीखता हूँ। गलतियों के कारण ढूंढता हूँ और फिर उसी गलती को कभी नही दोहराता और उसी काम को नए सिरे से तब तक करता हूँ जब तक अपनी मंजिल तक न पहुंच जाऊं।
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दोस्तों,
एडिसन की कहानी ने हमें सिखाया कि किसी भी महान कार्य को अंजाम देने के लिए हर तरह की नाकामयाबी और असफलताएं सहने के लिए हमें तैयार रहना चाहिए। हमें अपनी मंजिल की राह में मिलने वाले हर तरह के challange को गले लगाना ही होता है। अगर आपकी निगाहें अपने लक्ष्य पर टिकी है तो कोई भी अप्रिय स्थितियां आप को रोक नही सकती।
“असफलता” से “सफलता” का रास्ता “अ” के सुधार जैसा है। ये जानने की कोशिश करिये कि गलती कहाँ है, उस गलती को ठीक करिये और अगली बार उस गलती को दोबारा न दोहराएं। कुछ बदलाव और कुछ सुधारों के निरंतर प्रयास आप को आप की मंजिल तक जरूर ले कर जाएंगे।
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आपका दोस्त
मनोज शर्मा
5 Comments
Jagmender Dhankhar · September 25, 2017 at 6:38 am
Very nice
Jagmender Dhankhar · September 24, 2017 at 8:20 am
Appreciate Manoj ji
Very nice
kiran · September 23, 2017 at 1:03 pm
Very best
Anonymous · September 23, 2017 at 8:04 am
good , keep it up
mukul · September 23, 2017 at 7:48 am
Nice ..