यह बात जापान के भूकंप के बाद की तबाही की एक सच्ची घटना से जुड़ी है।
एक बार जापान में तेज भूकंप आया। जिसमे अनेकों घर तबाह हो गए। न जाने कितने ही लोगों ने अपनी जान भी गवाई। भूकंप के तुरंत बाद किये जा रहे बचाव दल ने हर तबाह हुए घर को जांचना शुरू किया। जाँच करते-करते दल एक घर के मलवे को तलाश रहे थे कि तभी उन्हें मलवे के नीचे किसी महिला के होने का पता चला। महिला कुछ अजीब से तरीके से मलवे के नीचे दबी थी। ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे घुटनो के बल बैठकर वो किसी देवता के सामने नत्मस्तक थी।
इसीलिए उसे बाहर निकलने में भी दिक्कत आ रही थी। किसी तरह दल के एक सदस्य ने मलवे के बीच की दरार में से हाथ डालकर महिला के शरीर का तापमान जाँचा। लेकिन शरीर ठंडा होने से पता चल गया था कि महिला अब जीवित नही है। ये देख दल वहां से किसी दूसरे तबाह हुए घर को जांचने के लिए आगे बढ़ा। मगर न जाने दल के एक सदस्य के मन मे क्या आया कि वो वापिस मुड़ा और महिला के शव को फिर से जांचने चल पड़ा। चूंकि हाथ अच्छी तरह महिला तक नहीं पहुंच रहा था इसलिए उस ने पहले ऊपर के मलवे को हटाने का काम शुरू किया। अभी मालवा हटाने का काम शुरू किया ही था कि मलवे के अंदर से किसी छोटे बच्चे के रोने की आवाज आई। ये देख मलवे को जल्दी से हटाया गया।
इस के बाद दल ने जो देखा वो जिंदगी भर नही भूल पाये। दरअसल भूकंप के समय घर को ढहता देख महिला ने अपने बच्चे को अपने शरीर से ढक दिया था। जिस के लिए महिला ने घुटनों के बल बैठ कर और हाथों को से सामने की चीज को पकड़ा और झुककर अपने मासूम बेटे को ढक दिया। घर के ढह जाने से महिला की पीठ टूट गयी और सिर बुरी तरह पिस गया था। मगर बेटा जिंदा था। बच्चे को एक कंबल के अंदर लपेटा पाया गया।
जब डॉक्टर की टीम ने बच्चे का medical परीक्षण करने के लिए कंबल खोला तो उसमें से लगभग तीन महीने का एक शिशु और एक मोबाइल फ़ोन मिला। उस मोबाइल फ़ोन में एक text message था जो कि महिला ने खुद के नम्बर से खुद को ही भेजा था। और वो संदेश था:
“अगर तुम जिन्दा बच गए तो ये हमेशा याद रखना कि मैं तुमसे बहुत प्यार करती थी”
वो मोबाइल फ़ोन वहाँ मौजूद एक हाथ से दूसरे हाथ मे जाता रहा और हर उस आदमी को रुलाता चला गया जिसने भी महिला का को अंतिम संदेश पढ़ा।
एक माँ अपने बच्चों से कितना हद तक प्यार करती है। मेरे हिसाब से ये इकलौती ऐसी बात है जिसकी हद का पता लगाना असंभव है।
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ये कहानी आज share करने के पीछे भी एक recent happening है। दरअसल मैंने अपनी माँ को कभी बीमार नही देखा इसलिए कभी भी उन को खोने का खयाल तक नहीं आया। मगर पिछले कल कुछ ऐसा हुआ कि मुझे पहली बार ये अहसास हुआ कि मेरी माँ मेरे साथ हमेशा नही रहेगी। ये एक सच्चाई है जिसे कोई टाल नही सकता है। मगर मैं ये सोच कर मैं कुछ ज्यादा ही डर गया था कि कहीं वो मुझे अभी छोड़कर न चली जाए। मैंने अपने सबसे अच्छे दोस्त और मेरे idol, मेरे पिताजी को तो काफी साल पहले ही खो दिया था।
मैंने शनिवार दोपहर के खाना माँ के साथ किया और फिर तैयार होकर अपने काम से शिमला चल दिया। इस से पहले कि मैं शिमला पहुच पाता, मेरे छोटे भाई का फ़ोन आया और पता चला कि माँ को पिछले 3 घंटे से भी ज्यादा समय से नाक की दाईं नथुनी से खून निकल रहा है जो बिल्कुल रुकने का नाम नहीं ले रहा। इसी वजह से मेरे पड़ोसियों की मदद से उन्हें किसी नजदीकी दवाखाने में ले जाया गया। खैर पता चला कि कुछ climatic dryness और BP बढ़ जाने से ये सब हुआ था जो कि दवा लेने के लगभग एक घंटे में normal हो गया था। इस बीच मैंने करीब करीब 30-35 फ़ोन कर डाले। वो मेरे फ़ोन से इतना परेशान हो गए कि कुछ समय बाद तो उन्होंने कुछ देर के लिए मेरे फ़ोन सुनना ही बंद कर दिया।
ये incident मुझे एहसास करवा गया कि हम जो भी कुछ माँ बाप के लिए कर सकते हैं उस का अब से अच्छा मौका फिर कभी नही आएगा। हर माँ की तरह मेरी माँ की भी मुझ से कोई बहुत बड़ी बड़ी चाहतें नही है। वो तो सिर्फ इतना उम्मीद करती हैं कि हम उन के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं और इस बुढ़ापे में कम से कम उन की भावनाओं को समझें। वो चाहते हैं कि हम उनको सुनें। हम कोई ऐसा काम न करें जो उम्र के इस पड़ाव में उनके belief system और value system को challange करें। कोई भी उन्हें बदलने की कोशिश न करें। बस उन्हें उस रूप और ढंग में ही हम अपनाएं उनके जिस रूप ने हमें यहां तक पहुँचाया है। और क्यों न अपनाएँ? सारे देवी देवताओँ की पूजा भी तो हम उनके उसी रूप में करना पसंद करते हैं जिस रूप में सदियों पहले होती थी। हम सब ने सदियों से उनके रूप में बदलाव की न तो उम्मीद की और न कोशिश। तो फिर माँ बाप भी तो देवी देवताओं से ऊपर ही हैं।
आपका दोस्त
मनोज शर्मा
6 Comments
Anonymous · September 22, 2017 at 6:22 pm
Emotional… really good
Rajesh · September 21, 2017 at 5:48 pm
very touching
Nisha · September 18, 2017 at 3:31 pm
I am proud of you
Anonymous · September 18, 2017 at 10:31 am
Very nice
P.Rana · September 18, 2017 at 7:28 am
मां-बाप दुनिया में हमें भगवान का होने का साक्षात होने का प्रमाण है। बहुत अच्छा लिखा दिल को छू गया ।
Manoj Sharma · September 18, 2017 at 10:26 am
Thank you brother